दिवानों की बाते है
इनको लबपर लाये कौन ?
इतना गेहेरा जाये कौन ?
खुदको यु उलझाये कौन ?
जो तु समझा अपना था
वो लमहों का सपना था
हमने दिल को समझाया
अब हमको समझाये कौन ?
तेरी गली मे हो आये
होश वही खो जाये
दिख जाये अगर तू पलभर
मैखाने मे जाये कौन ?
गली गली मे फ़िरते है
कई ठोकरें खाते है
जब तुनेही ठुकराया हमे
अब हमको अपनाये कौन ?
-संदीप खरे
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